भारत का इतिहास (HISTORY OF INDIA)4
भारत का इतिहास (HISTORY OF INDIA)
प्राचीन भारत
- जिस काल में मनुष्य के द्वारा घटनाओं का कोई लिखित विवरण नहीं प्राप्त होता है उसे प्रागैतिहासिक काल कहा जाता है |
- आघ -ऐतिहासिक काल उस काल को कहा जाता है जिसके लिखित साक्ष्य तो प्राप्त हुए है किन्तु उन्हें अभी तक पढ़ा नहीं जा सका है जैसे सिंधु घाटी सभ्यता |
- मानव विकास के उस काल को ऐतिहासिक काल कहा जाता है , जिसका विवरण लिखित रूप में उपलब्ध है |
- मानव धरती पर प्लाइस्टोसीन के आरम्भ में पैदा हुआ तथा आधुनिक मानव को हम होमो सेपियन्स या प्रज्ञ मानव के नाम से जानते है |
- आग का आविष्कार पुरा-पाषाणकाल में हुआ |
- चाक (पहिए )का आविष्कार नव-पाषाणकाल में हुआ था |
- मनुष्य में स्थायी निवास की प्रव्रती नव-पाषाणकाल में हुई |
- मनुष्य ने सर्वप्रथम तांबा धातु का प्रयोग किया था |
- अलेक्जेंडर कनिघम को भारतीय पुरातत्व का पिता कहा जाता है |
- रेडियो कार्बन C14 जैसी नवीन विशलेषण -पद्धति के द्वारा सिन्धु सभ्यता को सर्वमान्य तिथि 2350ई.पू. से 1750ई.पूर्व मानी गयी है इस सभ्यता की खोज 1921ई. में रायबहादुर दयाराम साहनी ने की थी
- सिन्धु सभ्यता या सैन्धवं सभ्यता नगरीय सभ्यता थी |सैन्धवं सभ्यता से प्राप्त परिपक्व अवस्था में वाले स्थलों में केवल 6 को ही नगर की संज्ञा डी गयी है,ये है -मोहनजोदड़ो,हड़प्पा ,लोथल ,कालीबंगा ,एवं चन्हुदड़ो |
- सर्वप्रथम हडप्पा नामक स्थल से जानकारी मिलने के कारण इसे हडप्पा सभ्यता नाम दिया गया |
- मोहनजोदड़ो से प्राप्त व्रहत स्नानागार एक प्रमुख स्मारक है , जिसके मध्य स्थित स्नानकुंड 11.18 मीटर लम्बा ,7.01मीटर चौड़ा एवं 2.43 मीटर गहरा है |
- सिंधु सभ्यता की लिपि भाव चित्रात्मक है , जिसे बूस्त्त्रोफेदन के नाम से जाना जाता है |
- सिन्धु सभ्यता के लोगो ने नगरो तथा घरो के विन्यास के लिए ग्रीड पद्धति अपनायी |
- मातर -देवी -पूजा , पेड़ -पूजा एव शिव-पूजा के प्रचलन के साक्ष्य भी सिन्धु सभ्यता से मिलते है |
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