धर्म में धक्का , पाप में पुण्य
(सलमान शिकारी )
एक बार सलमान नामक कोई शिकारी पशु -पक्षियों को पकड़कर अपनी जीविका चलाता था .एक बार उसके बिछाये हुए जाल में कोई बाघ बंध गया था .शिकारी जब उसे देखकर भागने लगा तो उस बाघ ने कहा की यदि तुम मुझे इस जाल से मुक्त कर दोगे तो में तुम्हे नहीं मारूंगा .शिकारी ने उस बाघ को जाल से बाहर निकाल दिया वह बाघ थका हुआ था उसने कहा की में प्यासा हु नदी का जल लाकर मेरी प्यास शांत करो जल पिने के बाद पुन: बाघ ने कहा की में भूखा हु अब तुम्हे खाऊंगा शिकारी ने कहा की मैने तो तुम्हारे प्रति धर्म का आचरण किया है तुमने झूठ बोला था अब तुम मुझे खाना चाहते हो ?बाघ ने कहा की "अरे मुर्ख! धर्म में धक्का , पाप में पुण्य होता ही है किसी से भी पूछ लो " सलमान शिकारी ने जब नदी के जल से पूछा तो उसने कहा कि -"ऐसा ही होता है लोग मुझे में स्नान करते है वस्त्रो को धोते है और मल -मूत्र आदि को छोड़ कर चले जाते है . अत: धर्म में धक्का , पाप में पुण्य होता ही है " जब सलमान ने व्रक्ष से पूछा तो उसने भी कहा की मानव हमारे छाया में विश्राम करते है फलो को खाते है और फिर जहा कंही भी कुल्हाड़ीयो के प्रहार से हमें काट कर कष्ट देते है , अत: धर्म में धक्का , पाप में पुण्य होता ही है पास में ही बेर की झाड़ियो के पीछे छिपी हुई एक लोमड़ी उन दोनों की बातों को सुन रही थी वह अचानक सलमान के पास आकर बोली क्या बात है ? मुझे भी बताओ . शिकारी ने सारी बात लोमड़ी को बतला दी .इसके बाद लोमड़ी ने शिकारी से कहा कि -ठीक है तुम जाल को फैलाओ . फिर वह बाघ से बोली - किस प्रकार से तुम इस जाल में बंध गये थे , यह में प्रत्यक्ष देखना चाहती हु . बाघ उस घटना को दिखलाने हेतु उस जाल में प्रवेश कर गया तथा लोमड़ी के कहने पर वह उछल - कूद करने लगा . लगातार कूदने से वह बाघ थक गया और जाल में बंध होने से बेसहारा होकर गिर पड़ा तथा अपने प्राणों की भिक्षा मागने लगा . तब लोमड़ी ने बाघ से कहा की तुमने सत्य ही कहा था की धर्म में धक्का पाप में पुण्य होता ही है . जाल में फिर से बाघ को बंधा हुआ देखकर शिकारी प्रस्नन होता हुआ अपने घर लोट गया
1 टिप्पणी:
Dharam mein Dhakka or paap mein punye kyu?
एक टिप्पणी भेजें